गीत
गीत
बाण नैन का मारा जबसे
मेरे लगी है हिय में चोट
बाण नैन का मारा जबसे
मेरे लगी है हिय में चोट ।
तू है छलिया सुन ओ नटखट
छल लिया जियरा तूने झटपट
बनके फिरू बावरी ढूंढु चंहु ओर
फूलों और बहारों से पुछूं
कहां गया चितचोर
बाणनैनका मारा जब से
मेरे लगी है हिय में चोट।
आ जाओ पिया ये दिल पुकारे
पथ तेरा देख – देख नैन हारे
भर आई आंखें जब आई तेरी यादें
दिल तड़फाए बो प्यारी -प्यारी बातें
दूर बैठें हैं हम -तुम ऐसे
जैसे चाँद और चकोर
बाण नैन का मारा जब से
मेरे लगी है हिय में चोट ।
आई अब तो बसन्त बहार
होली के दिन तुम बन के चाँद
उतर आना मेरे आँगन -द्वार
भर पिचकारी और ले गुलाल
ऐसे रंग में रंगना मोहे
जो रंग ना सके कोई और
बाण नैन का मारा जब से
मेरे लगी है हिय में चोट ।
ललिता कश्यप जिला बिलासपुर
( हि0 प्र0)