गीत
रो रहा है
कोई बच्चा
बहलाने के लिए
एक लौरी गीत
लिखते हैं
हारे थके आये
मानसिक तनाव
में हैं वो
उन्हें बहलाने
के लिए
एक गीत
लिखते हैं
चल नहीं सकते
बूढ़े हो गये हैं
माँँ – बाप
सुनता नहीं कोई
परेशान हैं
जिन्दगी से
उन्हें बहलाने
एक गीत
लिखते हैं
भटक रहे युवा
मंजिल पाने को
राह दिखाने
एक गीत
लिखते हैं
बसंती बयार
बह रही
इंतज़ार
कर रही वो
उसका समय
बिताने के लिए
एक
गीत
लिखते हैं
स्वलिखित लेखक
संतोष श्रीवास्तव भोपाल