गीत -होली
आओ मिलके बनाये सब संगी टोली रंगों की फुहार है होली
जीवन भर खुशियों के रंग घने हो गीतों की झंकार है होली.
पीड़ा अन्तर्मन की छोड़ो, द्बेष नफरत मिटाये पैगाम है बोली
बस रंग-ही-रंग भरें जब इसमें ऐसा आपसी सबका प्यार झोली.
ले सब भाव समर्पण का रखकर उल्फत में रसदार जाये घोली
जीवन भर खुशियों के रंगले मन को भाया नशीला श्नगार होली.
मायूस लगे मासूम दिखे, क्षण कडवाहट ले बैठे घृणा की गोली
हिरण्याकुश हारा प्रहलाद बचाया बहन होलिका जलना था होली.
रंग कहाँ पिचकारी कहाँ है भाभी देवर छेडछाड और मस्ती भार खोली.
“मैत्री”“लिखूं हर्ष से पर्व ख़ुशी मनाओ,ऐसा खिलता हो जाये इकरार होली.
स्वरचित –रेखा मोहन ५/३ /२०