गीत- हृदय को चैन आता है…
हृदय को चैन आता है निग़ाहें जब मिलाती हो।
अगर बाँहें मिलाओ तो शराफ़त हार जाएगी।
ज़मीं प्यासी मुहब्बत की तभी ग़ुल नव खिलाएगी।
बनो तुम चाँद मैं आकाश बन जाऊँ करीबी हो।
रहो आग़ोश में हरपल बड़ी मेरी नशीबी हो।
मुलाक़ातें हमेशा हों मुहब्बत रंग पाएगी।
ज़मीं प्यासी मुहब्बत की तभी ग़ुल नव खिलाएगी।
बनूँ मैं झील नीली तो कमल बनकर रिझाना तुम।
बनूँ मैं फूल टहनी बन गले अपने लगाना तुम।
फ़सानों में रवानी तब जवानी खिल बुलाएगी।
ज़मीं प्यासी मुहब्बत की तभी गुल नव खिलाएगी।
हमारे इश्क़ का सोना चमक देगा मिसालें बन।
हमारी रूह का आँगन खिलेगा यूँ खिले गुलशन।
सवालों के ज़वाबों में हमारी जीत आएगी।
ज़मीं प्यासी मुहब्बत की तभी ग़ुल नव खिलाएगी।
हृदय को चैन आता है निग़ाहें जब मिलाती हो।
अगर बाँहें मिलाओ तो शराफ़त हार जाएगी।
ज़मीं प्यासी मुहब्बत की तभी ग़ुल नव खिलाएगी।
आर. एस. ‘प्रीतम’
सर्वाधिकार सुरक्षित गीत