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13 Nov 2018 · 1 min read

गीत हरदम वफ़ाओं के गाता रहा

. . . . . # गीत# . . . . .

हम ही शामिल न थे जुस्तजू में तेरी
तुमको जालिम जमाना ही भाता रहा
इश्क में कोई बंजारा रोता कहाँ
गीत हरदम वफ़ाओं के गाता रहा

दर्द की प्यास की इक निशानी थे हम
प्यार की अनसुनी सी कहानी थे हम
कब मिले और कब हम जुदा हो गए
हम निभा न सके बेवफ़ा हो गए

गीत गाती नदी मिल रही थी कभी
आज सागर भी उसको भुलाता रहा

वो सुहानी सी थी एक डगर गांव में
नाचती बाँध घुँघरू प्रकृति छाँव में
हम दोनों नदी के किनारे से थे
दो किनारे मगर , एक धारे से थे

बह गए आँसुओं के एक सैलाब से
बिन ही बरसात सावन भिगाता रहा

दर्द – ओ – गम जिंदगी में तो आना ही था
तुम भी आये ही क्यों जबकि जाना ही था
तुमको जाना पड़ा क्या खता हो गयी
जिंदगी आज फिर बेवफ़ा हो गयी

प्यार तुमने किया तो निभाना भी था
दिल मेरा तुमको हरदम बुलाता रहा

योगेन्द्र योगी (कानपुर)
मोब.-7607551907

Language: Hindi
Tag: गीत
287 Views
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