गीत-2 ( स्वामी विवेकानंद जी)
चाह यदि जीवन में उत्कर्ष।
निरंतर करना है संघर्ष।।
मिलेगी फिर निश्चय ही जीत,
बनेगी सारी दुनिया मीत।
राह में बाधक रहा विमर्ष,
निरंतर करना है संघर्ष।।
स्वयं को मत समझो कमज़ोर,
रहेगी आकर सुख की भोर।
भले हो समय बहुत दुर्धर्ष,
निरंतर करना है संघर्ष।।
उठो निज लक्ष्य करो तुम प्राप्त,
सुयश होगा तव जग में व्याप्त।
सार यह शिक्षा का निष्कर्ष,
निरंतर करना है संघर्ष।।
डाॅ बिपिन पाण्डेय