गीत- सरल फ़ितरत न नाजुकता इसे संस्कार कहते हैं…
सरल फ़ितरत न नाजुकता इसे संस्कार कहते हैं।
कभी झुकता नहीं उसको मुहब्बत प्यार कहते हैं।।
किसी के मौन में हल है किसी के बोल में हल है।
मगर सच मैं कहूँ तो सुन सही हर बोध में हल है।
सही ले फैसला पल में चतुर मति यार कहते हैं।
कभी झुकता नहीं उसको मुहब्बत प्यार कहते हैं।।
है सच्चाई सरिस सूरज ये बादल झूठ की छाया।
छिपाए भानु कुछ पल रोक पर हरपल नहीं पाया।
करे मोहित गुणों से जो उसे दमदार कहते हैं।
कभी झुकता नहीं उसको मुहब्बत प्यार कहते हैं।।
चुराकर जोड़लो लाखों करोड़ों ज़ख्म पाओगे।
बुराई कर सको करलो मगर तुम हार जाओगे।
यहाँ ईमान को ‘प्रीतम’ हृदय-शृंगार कहते हैं।
कभी झुकता नहीं उसको मुहब्बत प्यार कहते हैं।।
आर.एस. ‘प्रीतम’