गीत- मिली है ज़िंदगी इसको…
मिली है ज़िंदगी इसको सजाएँ हम मुहब्बत से।
भरें हर रंग रंगोली बनाएँ दिल मुहब्बत से।।
शरद की धूप जैसी हो पतंगों-सी उड़े हरपल।
ये मधुबन रूप जैसी हो मिले बू से खिले हरपल।
बने ये ज़िन्दगी झरना कभी सरिता मुहब्बत से।
भरें हर रंग रंगोली बनाएँ दिल मुहब्बत से।।
हमेशा भोर जैसी हो ख़ुदा के छोर जैसी हो।
हसीं चितचोर जैसी हो ज़ुदा हर दौर जैसी हो।
कमल का नूर हो जाए खिले केवल मुहब्बत से।
भरें हर रंग रंगोली बनाएँ दिल मुहब्बत से।।
बहे दरिया बने सागर यही हो ज़िंदगी अपनी।
मिले संगीत शब्दों को सही हो ज़िंदगी अपनी।
मिटा निज और का मातम धुले जीवन मुहब्बत से।
भरें हर रंग रंगोली बनाएँ दिल मुहब्बत से।।
आर. एस. ‘प्रीतम’