गीत – बदनुमा रोज ग़म से
गीत – बदनुमा रोज ग़म से
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सभी कह रहे हैँ मुझे एक दम से
कि मैँ हो रहा बदनुमा रोज ग़म से
दिल सोचता है कि क्या हो रहा है
मैँ रो रहा और जग सो रहा है
नहीँ सुख मिला है मुझे तो जनम से-
कि मैँ हो रहा बदनुमा रोज ग़म से
ठोकर लगे रोज फिर होश क्योँ है
मुझ मेँ न जाने यही दोष क्योँ है
बढ़ी उलझने हैँ बढ़े हर कदम से-
कि मैँ हो रहा बदनुमा रोज ग़म से
धोखा मिले प्यार मेँ आजकल है
ग़म है बहुत ना हँसी एक पल है
नहीँ बात कोई करे आँख नम से-
कि मैँ हो रहा बदनुमा रोज ग़म से
– आकाश महेशपुरी