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29 Jul 2018 · 1 min read

गीत : पवन सुगन्धित बहती जैसे बहती रहना तुम

पवन सुगंधित बहती जैसे बहती रहना तुम।
नित नित करके इक इक सीढ़ी चढ़ती रहना तुम।।

पग पग पर आकर बाधाएँ,
मार्ग तुम्हारा रोकेंगी।
हो जाओगी तुम विचलित,
वह पूरी ताकत झोंकेंगी।।
किंतु हारकर थककर तुमको,
कभी न रुकना है।
कितनी भी बाधाएँ आए,
कभी न झुकना है।।

प्रतिपल साहस शक्तिपुंज से भरती रहना तुम।
नित नित करके इक इक सीढ़ी चढ़ती रहना तुम।।

ज्योतिर्मय मुखमंडल होगा,
और बुद्धि होगी शीतल।
दशों दिशाएँ करेंगी स्वागत,
स्वागत करेंगे नभ जल थल।।
उर से सदा स्नेह निकलें,
वही तुम्हारा होगा बल।
स्नेह भाव में मत बहना तुम,
नहीं पुनः फिर होगा छल।।

सम्पूर्ण जगत में दिये की भाँति जलती रहना तुम।
नित नित करके इक इक सीढ़ी चढ़ती रहना तुम।।

बाधाएँ फिर तुमको अपनी,
बाधा समझेंगी।
मार्ग तुम्हारा न रोकेंगी,
फिर तुम तक न फटकेंगी।।
बन नदियाँ की धारा,
कल-कल बहती रहना तुम।
हर अधिकार मिलेगा तुमको,
लड़ती रहना तुम।।

-अभिषेक कुमार शुक्ल ‘शुभम्’
(कवि,गीतकार)

Language: Hindi
Tag: गीत
1 Like · 1 Comment · 559 Views
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