गीत त
तीन लोक के स्वामी ने, मथुरा में आ अवतार लिया।
वसुदेव और देवकी का जेल में आ उद्धार किया।
जब -जब विपदा आई जगत में,
तब- तब आप सहाई हुए।
मात देवकी की गोदी का,
आ करके शिंगार हुए।
टूटी कड़ियां ,टूटी बेड़ी , खुल गए ताले कमाल किया।
तीन लोक के स्वामी ने मथुरा में आ अवतार लिया।
भाद्रपद की अष्टमी तिथि,
यमुना खूब हिलोरे ले।
वसुदेव सिर धर के टोकरी,
यमुना के उस पार चलें।
उछली यमुना चरण छूने को,
चरण छूआया शांत किया।
तीन लोक के स्वामी ने मथुरा में आ अवतार लिया।
शेष शैया पर सोने वाले,
गोकुल की माटी चखे।
मुंह खुलवाया जब माता ने
तीन लोक दर्शन लखे।
तीनों लोक को देने वाला,
घर-घर माखन चोर बना।
तीन लोक के स्वामी ने, मथुरा में आ अवतार लिया।
वसुदेव और देवकी का ,जेल में उद्धार किया।
ललिता कश्यप था जिला बिलासपुर हिमाचल प्रदेश