गीत- तुम्हारा साथ दे हरपल…
तुम्हारा साथ दे हरपल वही अपना ज़माने में।
चले मुँह फेरकर जो भी समझ सपना ज़माने में।।
नहीं समझे तुम्हारा प्यार मत उम्मीद कर उससे।
बड़ाई कर रहा ख़ुद की सदा दिल दूर कर उससे।
ख़ुशी मिलती हमेशा सत्य चाहत को सजाने में।
चले मुँह फेरकर जो भी समझ सपना ज़माने में।।
करो कोशिश हज़ारों तुम न मिलता चाह का हीरा।
कभी मिटती बिना कोशिश बड़ी हर आह की पीरा।
नहीं बढ़ता नहीं घटता है क़िस्मत के ख़ज़ाने में।
चले मुँह फेरकर जो भी समझ सपना ज़माने में।।
किसी की राह में संकट बुलाना तो नहीं अच्छा।
कपट का जाल सुन ‘प्रीतम’ बिछाना तो नहीं अच्छा।
ख़ुशी मिलती हमेशा ही सभी को बस हँसाने में।
चले मुँह फेरकर जो भी समझ सपना ज़माने में।।
आर. एस. ‘प्रीतम’