गीत – जीवन मेरा भार लगे – मात्रा भार -16×14
ऊहापोह लिए मन मेरा
शेयर का बाजार लगे
उठापटक करती रहती हैं, .
इच्छाएँ पलकों जैसी।
आशंकाएँ घेरे रहती ,
सिर मेरा अलकों जैसी।
कुछ ज्यादा करना चाहूँ तो,
मंदी का व्यापार लगे..
सोफे जैसा पड़ा हुआ है ,
सपनों की बैठक में तन ।
बेचैनी सा बैठा लगता ,
मेरा हर पल भोला मन ॥
सौदेबाजी करे ज़िन्दगी,
हार गले की हार लगे … I
लिफ्ट के जैसे ऊपर नीचे,
मंजिल तो आती रहती।
कभी निराशा देख सामने,
पीछे भी जाती रहती ॥
हानि – लाभ के चक्कर में क्यों ,
जीवन मेरा भार लगे ..
स्वरचित एवं अप्रकाशित
महेन्द्र नारायण