गीत–जब हो रात अधूरा आ जाना पूरा करने ओ,प्रियतमा
जब हो रात अधूरा आ जाना पूरा करने ओ,प्रियतमा।
बहुत अंधेरे में प्यार हमारा खो जाए न ओ,प्रियतमा।
रस्म निभाना नहीं प्रियतम ये, कसमें है पूरा करना ।
एकाकी हम कभी नहीं थे सदियों से निभा रहे सपना।
चाँद चिढ़ा के चला जा रहा आओ उसको टोकें हम।
प्यार हमारा बिखर न जाये आओ उसको रोकें हम।
वादे सारे आ दुहरा लें कसमें खाके छूकर तन,मन।
साक्षी होकर दुहरा लें आओ फिर से वह सारा प्रण।
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