गीत- चलो इश्क मेँ भी नहा लो जरा
गीत- चलो इश्क मेँ भी नहा लो जरा
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ज़माना नहीँ ढूँढ पाये हमेँ
हँसीँ गेसुओँ मेँ छुपा लो जरा
कि मौसम जवाँ मनचला आसमाँ
चलो इश्क मेँ भी नहा लो जरा
चलो प्यार मेँ कुछ बढ़ाएँ कदम
न कोई यहाँ हम अकेले सनम
निगाहोँ मेँ डालो निगाहेँ सुनो
अलग ना रहो आ मिलोँ एकदम
न दूरी कभी अब रहे दर्मियाँ
मुझे धड़कनोँ मेँ बसा लो जरा-
कि मौसम जवाँ मनचला आसमाँ
चलो इश्क मेँ भी नहा लो जरा
जो दिल मेँ तुम्हारे ठिकाना मिला
मुझे तो खुशी का खज़ाना मिला
मिली ये खुशी अब छुपाऊँ कहाँ
मिले तुम कि जैसे ज़माना मिला
नहीँ और सोचूँ कि तेरे सिवा
मैँ टूटा हुआ हूँ सम्हालो जरा-
कि मौसम जवाँ मनचला आसमाँ
चलो इश्क मेँ भी नहा लो जरा
फुहारोँ का आओ उठा लेँ मजा
भले ये ज़माना सुना दे सजा
नहीँ है हमेँ डर किसी का सनम
कि बाहोँ मेँ आके नहीँ तूँ लजा
ये दिन है सुहाना हमारे लिए
उमंगेँ जो दिल मेँ उछालो जरा-
कि मौसम जवाँ मनचला आसमाँ
चलो इश्क मेँ भी नहा लो जरा
– आकाश महेशपुरी