गीत गा रहा है
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******* गीत गा रहा है ********
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आज लब पर नाम तेरा आ रहा है।
ख्याल मन मे आपका ही छा रहा है।
बादलों को देख कर मौसम सुहाना,
गीत प्यारा सा यहाँ पर गा रहा है।
गाल गोरे लाल फूलों से गुलाबी,
हर कली को भंवरा बन भा रहा है।
बालमा समझो जरा ये पीर मन की,
रोज मन का भार ढोया जा रहा है।
हाल मनसीरत समझ कोई न पाया,
प्यार का पैगाम साजन ला रहा है।
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सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)