गीत.जीतेंगे हम जीवन रण मे
जीतेंगे हम जीवन रण मे
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संशय कोई नही है मन मे
जीतेंगे हम जीवन रण मे ।
चाहे कितनी भी बाधायें
साथ हमारे हैं आशाये
माटी से उपजा तब पत्थर
कुंदन है जब तपत अगन मे
जीतेंगे हम जीवन रण में ।
राह वहीं है चाह जहां पर
जीत वहीं है हार जहां पर
पर्वत सा आकार धरें हम
अभिलाषा बाकी है तृण मे
जीतेंगे हम जीवन रण मे ।
यार चला चल अपने पथ पर
आरुढ़ हो स्वप्नों के रथ पर
तंजों से होना मत विचलित
आदत होती है कुछ जन मे
जीतेंगे हम जीवन रण में ।
भोर भयी अब जागो प्यारे
लक्ष्य खड़ा है बाँह पसारे
रात कहाँ हरदम रहती है
सुमन खिले नूतन उपवन मे
जीतेंगे हम जीवन रण में ।
गीतेश दुबे ” गीत “