” गीत कैसे लिखूं “
डॉ लक्ष्मण झा “ परिमल “
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गीत कैसे लिखूं ,
वैसे तो मुझे जरुरत नहीं
किसी की ,
ना भाषा की , ना अलंकार की ,
मैं नहीं चाहता ,
छंदों के बंधनों में उलझना ,
मेरी भावना ही है
मेरा कहना !
पर …यह भी तो
न काम आ रही ..जीवन को भी ना रास आ रही !
कलम रुक चली ,
प्रतिक्षा की स्याही सूख चली !
अब ना वो प्रेरणा ही मेरे साथ है
और ना कविता ही मेरे साथ है !
मैं हूं दूर ….बहुत दूर …
यही सोचता हूं कि ” गीत कैसे लिखूं ” ?
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डॉ लक्ष्मण झा “ परिमल “
साउन्ड हेल्थ क्लिनिक
एस 0 पी 0 कॉलेज रोड
दुमका ,
झारखंड
भारत