गीत- किसी को भाव देना भी…
किसी को भाव देना भी नहीं अच्छा न गुणकारी।
कहो वैसा लगे जैसा यही सच में है हितकारी।।
सही तारीफ़ भरती जोश दिल में सुन किसी के भी।
बड़ी शोहरत लिखे जीवन नयी रच धुन किसी के भी।
भरो संगीत सभी के मन दिला बन मान सत्कारी।
कहो वैसा लगे जैसा यही सच में हो हितकारी।।
विचारों की लिए गरिमा बढ़े आगे हमेशा जो।
इबारत नव यकीनन ही लिखे कोई हमेशा वो।
बनो तो तुम बनो यारों मनुज हो सिर्फ़ संस्कारी।
कहो वैसा लगे जैसा यही सच में हो हितकारी।।
गगन जैसा लिए विस्तार जीवन को करो उज्ज्वल।
तुम्हारे कर्म जैसे ही हक़ीक़त में मिलेंगे फल।
नया रचते बड़ा करते वही ‘प्रीतम’ हैं उपकारी।
कहो वैसा लगे जैसा यही सच में हो हितकारी।।
आर.एस. ‘प्रीतम’