Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
16 Jul 2024 · 1 min read

गीत- कभी तुम प्यार की दुनिया…

कभी तुम प्यार की दुनिया बसाओ तो तुम्हें जानें।
मुझे दिल में बसाकर मुस्क़राओ तो तुम्हें जानें।।

ज़रा पोछो मेरी आँखों के आँसू तुम मुहब्बत से।
गले अपने लगालो रूह में बसकर मुहब्बत से।
मेरे हर दर्द का मरहम बनो आओ तुम्हें जानें।
कभी तुम प्यार की दुनिया बसाओ तो तुम्हें जानें।
मुझे दिल में बसाकर मुस्क़राओ तो तुम्हें जानें।।

तेरी हर बात सुंदर है अदा बिंदास हर तेरी।
मुहब्बत है तो स्वीकार कर तू बात हर मेरी।
सभी आगे मुझे अपना जताओ तो तुम्हें जाने।।
कभी तुम प्यार की दुनिया बसाओ तो तुम्हें जानें।
मुझे दिल में बसाकर मुस्क़राओ तो तुम्हें जानें।।

सवालों में ख़यालों में तेरी चाहत दिखाई दे।
मिलो मुझको लगे ऐसा बड़ी राहत दिखाई दे।
कभी दिल से मुझे हँसकर हँसाओ तो तुम्हें जानें।।
कभी तुम प्यार की दुनिया बसाओ तो तुम्हें जानें।
मुझे दिल में बसाकर मुस्क़राओ तो तुम्हें जानें।।

आर.एस. ‘प्रीतम’

Language: Hindi
1 Like · 48 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from आर.एस. 'प्रीतम'
View all
You may also like:
*छह माह (बाल कविता)*
*छह माह (बाल कविता)*
Ravi Prakash
वक़्त है तू
वक़्त है तू
Dr fauzia Naseem shad
ChatGPT
ChatGPT
पूर्वार्थ
मुहब्बत नहीं है आज
मुहब्बत नहीं है आज
Tariq Azeem Tanha
*लव यू ज़िंदगी*
*लव यू ज़िंदगी*
sudhir kumar
रेत का ज़र्रा मैं, यूं ही पड़ा था साहिल पर,
रेत का ज़र्रा मैं, यूं ही पड़ा था साहिल पर,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
हम भारत के लोग उड़ाते
हम भारत के लोग उड़ाते
Satish Srijan
हज़ार ग़म हैं तुम्हें कौन सा बताएं हम
हज़ार ग़म हैं तुम्हें कौन सा बताएं हम
Dr Archana Gupta
कुछ कहमुकरियाँ....
कुछ कहमुकरियाँ....
डॉ.सीमा अग्रवाल
*प्रकृति-प्रेम*
*प्रकृति-प्रेम*
Dr. Priya Gupta
एक किताब सी तू
एक किताब सी तू
Vikram soni
उन कचोटती यादों का क्या
उन कचोटती यादों का क्या
Atul "Krishn"
स्वाधीनता के घाम से।
स्वाधीनता के घाम से।
Pt. Brajesh Kumar Nayak
कल मैं सफरर था, अभी तो मैं सफर में हूं।
कल मैं सफरर था, अभी तो मैं सफर में हूं।
Sanjay ' शून्य'
जब कोई रिश्ता निभाती हूँ तो
जब कोई रिश्ता निभाती हूँ तो
Dr Manju Saini
आँखों से रिसने लगे,
आँखों से रिसने लगे,
sushil sarna
जीवन की जटिलताओं को छोड़कर सरलता को अपनाना होगा।
जीवन की जटिलताओं को छोड़कर सरलता को अपनाना होगा।
Ajit Kumar "Karn"
4194💐 *पूर्णिका* 💐
4194💐 *पूर्णिका* 💐
Dr.Khedu Bharti
आ जाओ गणराज
आ जाओ गणराज
Sarla Sarla Singh "Snigdha "
HAPPINESS!
HAPPINESS!
R. H. SRIDEVI
!!!! सबसे न्यारा पनियारा !!!!
!!!! सबसे न्यारा पनियारा !!!!
जगदीश लववंशी
"गंगा माँ बड़ी पावनी"
Ekta chitrangini
जिंदा है हम
जिंदा है हम
Dr. Reetesh Kumar Khare डॉ रीतेश कुमार खरे
बुढापे की लाठी
बुढापे की लाठी
Suryakant Dwivedi
जन्माष्टमी महोत्सव
जन्माष्टमी महोत्सव
Neeraj Agarwal
"शब्दों की सार्थकता"
Dr. Kishan tandon kranti
इंसान की इंसानियत मर चुकी आज है
इंसान की इंसानियत मर चुकी आज है
प्रेमदास वसु सुरेखा
२०२३
२०२३
Neelam Sharma
दो अक्षर में कैसे बतला दूँ
दो अक्षर में कैसे बतला दूँ
Harminder Kaur
बदनाम गली थी
बदनाम गली थी
Anil chobisa
Loading...