गीत एकता के तो गाइए __गजल/गीतिका
छोड़ निज दल की चिंता अब तो एक हो जाइए।
दलगत से ऊपर देश, परिवेश एक तो बनाइए।
क्यों बयानबाजी के तीर चलाते हो, आरोप-प्रत्यारोप लगाते हो।
कैसे हो जीवन रक्षा,सुरक्षा चक्र तो लाइए।।
बचे रहेंगे तो मिलेगा, फिर हमको मौका लड़ने भिड़ने का।
संकट के इस दौर में, कंटको को तो हटाइए।।
घाव गहरे हैं मर रहे लोग सांझ सवेरे है।
निर्जीव काया की ,कम से कम चिता तो जलाइए।।
मेरा है ना तुम्हारा है, यह समय का फेर है।
हो न जाए कहीं देर,इस अंधेरे से निजात तो दिलाइए।।
देश की हो जीत, आपकी अपनी रहे प्रीत ।
सुनो सुनो सारे मीत, गीत एकता के तो गाइए।।
राजेश व्यास अनुनय