गीत- उड़ाओ प्यार के बादल…
उड़ाओ प्यार के बादल खिलाओ धूप चाहत की।
मिलेगी ज़िन्दगी तुमको खिले गुल शौक़ राहत की।।
उड़ेगी बद ग़मों की धूल ये ठोकर लगाओ तुम।
मिलेगी राह ज़न्नत की हँसों सबको हँसाओ तुम।
बनेगी सुब्ह सी हर रात चाहत से अदावत की।
मिलेगी ज़िन्दगी तुमको खिले गुल शौक़ राहत की।।
कभी कमज़ोर बनके तू भुला देना नहीं मुझको।
मुहब्बत कर मुहब्बत से सिला देना यही मुझको।
खुलेगी हर परत उलझी यहाँ मेहनत से सिलवट की।
मिलेगी ज़िन्दगी तुमको खिले ग़ुल शौक़ राहत की।।
मुझे मेरा तुझे तेरा बुरा पल जब लगे भूला।
तभी दोनों सनम हमतुम ये झूलें प्रेम का झूला।
मिलेगी तब बड़ी पहचान ‘प्रीतम’ दाद इशरत की।
मिलेगी ज़िन्दगी तुमको खिले गुल शौक़ राहत की।।
आर. एस. ‘प्रीतम’
शब्दार्थ- अदावत- शत्रुता, इशरत- कामयाबी/भोग विलास