गीत… (आ गया जो भी यहाँ )
गीत….
आ गया जो भी यहाँ श्रीराम जी के है शरण।
फिर कभी हनुमान जी होने नहीं देते क्षरण।।
हैं जगत के नाथ प्रभु हरते हमारी हर व्यथा।
दिव्य पावन है चरित श्रीराम मानस की कथा।।
नाम लेने मात्र से भव व्याधियों से तय तरण।
आ गया जो भी यहाँ श्रीराम जी के है शरण।।
नाम की महिमा बताते ग्रंथ युग थकते नही।
रम रहे ब्रह्माण्ड में सम्पूर्ण जो वह हैं वही।।
लाख हो दुष्वृतियां करके क्षमा करते वरण।
आ गया जो भी यहाँ श्रीराम जी के है शरण।।
भक्तवत्सल हैं करो श्रीराम की आराधना।
पूर्ण श्री हनुमान जी सबकी करेंगे साधना।।
भावना निर्मल करेगी दुर्गुणों का हर हरण।
आ गया जो भी यहाँ श्रीराम जी के है शरण।।
आचरण से सत्यता का है दिया संदेश जग।
है खिला सद्वृत्तियों से मानवी कर्तव्य मग।।
टीस दे पाता नहीं यह मृत्यु काया का जरण।
आ गया जो भी यहाँ श्रीराम जी के है शरण।।
आ गया जो भी यहाँ श्रीराम जी के है शरण।
फिर कभी हनुमान जी होने नहीं देते क्षरण।।
डाॅ. राजेन्द्र सिंह ‘राही’
(बस्ती उ. प्र.)