गीत।दो दिन पहले और किसी से ।
दो दिन पहले और किसी से ।
जबसे देखी सूरत तेरी
जब से मिली निगाहें
तब से सिर्फ तुम्हारा चेहरा
और हॄदय मे आहे
वह सुन्दरता
मै क्या करता
क्यों हटता मै पीछे ।।
दो दिन पहले और किसी से ।। 1।।
छुपकर के मै किसी तरह से
जब टकटकी लगाता
कोई न कोई आकर के
तब रोड़ा बन जाता
वही बहाना
फिर बहकाना
दाँत रहा हूँ पीसे ।।
दो दिन पहले और किसी से ।।2।।
कई दिनो से सोच रहा था
कर लूँ तुमसे बात
थोड़ा सा संदेह मुझे हैं
ब्यस्त बहुत हालात
डरते डरते
आहे भरते
जब आते तुम नजदीके ।।
दो दिन पहले और किसी से ।।3।।
क्योंकि तुमने संकेतों से
दिया मुझे आश्वासन
और तभी से इस हॄदय पर
छाया हैं पागलपन
न हैं नीदे
न उम्मीदे
जब से मिले तभी से ।।
दो दिन पहले और किसी से ।।4।।
और आज से नहीं करूँगा
तुमसे कभी शिकायत
जान रहा हू नहीं मिलेगी
कभी भी मुझको राहत
बिना तुम्हारे
खुद से हारे
स्नेहो के पीछे ।।
दो दिन पहले और किसी से ।।5।।
©राम केश मिश्र