गीतों का कारवाँ गुजर गया –आर के रस्तोगी
आज गीतकार नीरज नहीं रहे
और हम खड़े खड़े देखते रहे
गीतों का कारवाँ गुजर गया
और हम गुब्बार देखते रहे
उसके गीतों में एक दर्द था
उसके प्यार में एक मर्द था
वह कभी राह में रुका नहीं
वह कभी किसी से झुका नहीं
वह गीतों की दुनिया में बढ़ता रहा
फिल्म जगत में वह चलता रहा
उसके गीतों का आनन्द लेते रहे
पर वो आज हमारे बीच नहीं रहे
और हम खड़े खड़े देखते रहे
गीतों का कारवाँ गुजर गया
और हम गुब्बार देखते रहे
उसके गीतों में एक प्यार था
उसके गीतों में एक खिचाव था
गीतो का सिलसिला चलता रहा
प्रेम के पथ पर आगे बढता रहा
गीतकार ही नहीं प्यार का पुतला था
आँखों में उसके प्यार का चश्मा था
और हम भी रात भर बैठे सुनते रहे
आज गीतकार नीरज नहीं रहे
और हम खड़े खड़े देखते रहे
गीतों का कारवाँ गुजर गया
और हम गुब्बार देखते रहे
उनकी शव-यात्रा जब चली
वक्त भी वहाँ ठहर गया
वक्त भी आँसू बहा रहा था
उसके गीत गुनगुना रहा था
उसके गीतों में एक खुमार था
अपने आप में एक मिसाल था
उनको कैसे विदा करे ये सोचते रहे
आज गीतकार नीरज नहीं रहे
और हम खड़े खड़े देखते रहे
गीतों का कारवाँ गुजर गया
और हम गुब्बार देखते रहे
आर के रस्तोगी