गीतिका
गीतिका….7
आधार छंद – विधाता
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मिला करता उन्हें ही प्यार जो सम्मान करते हैं ।
सफल जीवन उन्हीं का है वही उत्थान करते हैं ।।1
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बुरा जो सोचते करते न कहलाते कभी सज्जन ।
सुधी वे लोग हैं जो लक्ष्य का संधान करते हैं ।।2
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कुल्हाड़ी पाँव पर अपने कभी मारा नहीं करते ।
बताऊँ सच तुम्हें ये काम तो नादान करते हैं ।।3
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चुने कंकर सदा पत्थर बना कर पोटली लादी ।
मगर पर हित यहाँ कुछ लोग विष का पान करते हैं ।।4
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अगर चाहो मिले आदर सभी को दो सदा तुम भी ।
न मिलता मान उनको जो यहाँ अपमान करते हैं ।।5
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कभी बुझती नहीं है प्यास चाटे ओस के जो कण ।
बुझाता प्यास युग की हम उसी का ध्यान करते हैं ।।6
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यही है कामना बस ‘ज्योति’ की हर घर उजाला हो ।
पिये अँधियार जो उसका सभी गुणगान करते हैं ।।7
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-महेश जैन ‘ज्योति’,
मथुरा ।
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