गीतिका
देखलो सूरज सुबह फिर काम करने आ गया,
कर उजाला विश्व में वो नाम करने आ गया,
आंधी-तूफा, तिमिर सारे, रोकते उसको रहे,
पर न रुका,की रौशनी औ घाम करने आ गया,
मुश्किलें आती रही हैं, मुश्किलें आती रहेगी,
वो सफल जिसको यहाँ पर,नाम करना आ गया,
जीत न पाया जो एक पल, सत्य को देखो यहाँ,
मूर्ख बन,लेकर के पैंसे दाम करने आ गया,
धवल खादी पहना के,हमने जिसे गददी सौंपी,
उम्मीद थी रोशन करेगा,पर शाम करने आ गया,
रमेश शर्मा”राज”
बुदनी