गीतिका
मापनी: 2212 2212 2212 2212
पदांत: के लिए
समांत: आने
विशेषता: रूप मुखड़ा(हुस्ने मतला),पाँच युग्म
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है उठ रही आवाज कुछ झकझोर जाने के लिए,
हनुमान का हनुमान से परिचय कराने के लिए।१।
यदि व्रत करें बजरंग सागर लांघ जाने के लिए,
सामर्थ्य क्या सुरसा रखे उनको चबाने के लिए।२।
दुर्बल अँगुलियाँ बाँधती है मुष्टिका जब भी सबल,
तब ऐक्य-बल अतिरेक है नींवें हिलाने के लिए।३।
आरंभ की ही चोट होती है कठिन संघर्षमय,
बस चाहिए क्या शेष दीवारें ढहाने के लिए।४।
है ओछ्पन खिल्ली उड़ाना-तुच्छ कहकर,भूलना-
इक अग्निकण पर्याप्त है कानन जलाने के लिए।५।
जब जलघि को भी भान होता है स्वयं की योग्यता,
फिर कौन होता बाँध गति अवरोध लाने के लिए।६।
-सत्यम प्रकाश ‘ऋतुपर्ण’