गीतिका
गीतिका-
चाटुकारिता का गुण नर में,जब तक कड़ा नहीं होता।
तब तक पद-सत्ता के पग में,कोई पड़ा नहीं होता।।1
दिल से कही बात जो जाती,दिल तक सदा पहुँचती है,
हर मानव दुनिया में प्यारे ,चिकना घड़ा नहीं होता।।2
पालन-पोषण पर यदि उसको,गर्व ज़रा भी होता तो,
सच यह मानो बेटा अपनी, माँ से लड़ा नहीं होता।।3
होती छोटी सोच कहीं यदि, बापू की भी बेटे-सी,
तो कोई भी बेटा जग में ,तनकर खड़ा नहीं होता।।4
अगर न करता अनदेखा यों,बापू सुत की ग़लती को,
तो बेटा जीवन में उनके ,नग-सा जड़ा नहीं होता।।5
बेटे के पैरों में जूते, अगर पिता के आ जाते,
केवल इसी बात से कोई, बेटा बड़ा नहीं होता।।6
डाॅ बिपिन पाण्डेय