गीतिका
बने विश्व मे भारत सक्षम
बने स्वयं के सम्बल भी हम
नहीं दैन्यता रहे कभी भी
बढ़ते जायें आगे हरदम
राम कृष्ण आदर्श हमारे
कभी किसी से रहें नहीं कम
देखें दुखी किसी को भी तो
नेत्र हमारे हो जायें नम
ऊँच नींच से ऊपर उठकर
रहें राष्ट्र के सारे जन सम
दीन दुखी को कोई सताये
सजा दे सकें इतनी हो दम
मधुसूदन दीक्षित