गीतिका
आधार छंद- हरिगीतिका
मापनी- 2212, 2212, 2212, 2212
समांत- आर, पदांत- कर सकता नहीं
जो भाव भाषा शब्द पर अधिकार कर सकता नहीं।
वह लेखनी को सोच से हथियार कर सकता नहीं।।1
प्रेमी यहाँ हर एक जैसा तो नहीं यह ध्यान रख,
है प्यार जिसके मन बसा व्यभिचार कर सकता नहीं।।2
जो क्लैव्य कायर आत्म श्लाघी भीरुता को चुन रहा,
वह नर किसी में शक्ति का संचार कर सकता नहीं।।3
नेकी बदी के प्रश्न के जो खोजता उत्तर रहा,
लाभार्थ वह संसार में व्यापार कर सकता नहीं।।4
हँसते रहें चलते रहें चाहे मुसीबत घेर ले,
दुख साहसी को नित झुका लाचार कर सकता नहीं।।5
बस बैठकर ही बात से मत लक्ष्य का संधान कर,
सपना सुहाना इस तरह साकार कर सकता नहीं।।6
वह द्वेष -अनुरागी नहीं कैसे कहें उसको भला,
उपकार का यदि व्यक्त वह आभार कर सकता नहीं।।7
डाॅ बिपिन पाण्डेय