“गीतिका”
चौपाई छंद मापनी पर “गीतिका”
बोलो सब जय हिंद शान से, शुभ गले लगाओ गैया रे
वंदे मातरम जिह्वा बोले, मन हाथ मिलाओ भैया रे
भारत माँ के घर आँगन में, नित तुलसी की पूजा होती
पहली रोटी गाय बछरुआ, गाए गाना गौरैया रे।।
नदी नाल अरु पोखर सारे, बहते रहते मृदु पानी ले
तरुवर खग मृग हिरन झूमते, छम झूमे ताल तलैया रे।।
देख पहाड़ो पर बीरों को, जा बाँध रही राखी बहना
प्रहरी हिम आशीष दे रहा, हर माँ के हृदय बलैया रे।।
टस से मस नहि होने दूंगा, भारत की जय ललकार सुनो
बैरी अपनी राग अलापे, बीरन कर खेल कलैया रे।।
धैर्य तिरा न कम पड़ जाए, गीदड़ भभकी तेरी बोली
रोज रोज की दंभी बातेँ, लहरों बिच तेरी नैया रे।।
‘गौतम’ की दृढ़ इच्छा शक्ती शेरों ने ली अब अँगड़ाई
अपना छवना छुपाय रखना नभ उड़ती बाज़ चिरैया रे।।
महातम मिश्र ‘गौतम’ गोरखपुरी