गीतिका
गीतिका
मात्रा भार-१०
०००
कष्ट गलता नहीं.
ग़म पिघलता नहीं.
जुल्म के झुण्ड में.
कर्म फलता नहीं.
संगदिल आँख से,
नीर बहता नहीं.
आज अध्ययन में,
है गहनता नहीं.
युअओं में अब,
होती छमता नहीं.
‘सहज’ बिना चिंतन,
दिल बहलता नहीं.
@डॉ.रघुनाथ मिश्र ‘सहज’
अधिवक्ता /साहित्यकार.
सर्वाधिकार सुरक्षित.