गीतिका
विधा -गीतिका
छंद-चौपई
15 मात्रा
समान्त -आन
पदांत-अपदांत।
समस्त गुणीजनों को सादर प्रस्तुत
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सबसे प्यारा हिंदुस्तान।
तन मन इस पर है बलिदान।
माने लोहा ये संसार,
गाये भारत गौरव गान।
एकलव्य अर्जुन के तीर,
चले लक्ष्य पर छोड़ कमान।
पहुँचे हम मंगल पर आज,
दुनियाँ करती है गुणगान।
लिये तिरंगे अपने हाथ,
सीमा पर हैं वीर जवान।
धर्म जाति भाषायें भिन्न,
भाईचारा है पहचान।
राम- राम हो दुआ सलाम,
दीवाली हो या रमजान।
कृष्ण यहाँ देते उपदेश,
गीता में है सच्चा ज्ञान।
इस धरती पर लेते जन्म,
राम कृष्ण गौतम रहमान।
लेकर पुण्य धरा पर जन्म,
“निगम” करे खुद पर अभिमान।
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बलराम निगम।
कस्बा-बकानी,जिला-झालावाड़,राजस्थान।