गीतिका- क्या परी हैं आप जो जादू चलाया आपने
गीतिका- क्या परी हैं आप जो जादू चलाया आपने
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प्यार में अपना बनाकर है सताया आपने।
हम अभी सोए कहाँ थे जो जगाया आपने।।
आँख तो मेरी खुली थी स्वप्न कैसे छा गए?
क्या परी हैं आप जो जादू चलाया आपने।।
है बहुत गरमी मगर ठण्डी ये’ आहें साथ हैं।
याद है हमको कभी पंखा झलाया आपने।।
मुझको’ है मधुमेह की मीठी बिमारी मित्रवर।
क्या निभाई मित्रता मीठा खिलाया आपने।।
प्यार के दो बोल भी देते नहीं ‘आकाश’ तो।
मैं समझ पाया नहीं क्यूँ घर बुलाया आपने।।
– आकाश महेशपुरी