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23 Feb 2018 · 1 min read

गीतिका।कपट हीन निःस्वार्थ हो जीवन का आधार ।

क़ुदरत के अनुरूप ही आप करें व्यवहार ।
कपट हीन निःस्वार्थ हो जीवन का आधार ।

सुख की छणिकाएँ ज़रा दुःख के रूप अनेक ।
घट बढ़ सकता भाग्य पर कर्मो के अनुसार ।

हृदय को विस्तार दे सबसे रखिये नेह ।
प्राणिमात्र पे कर दया यथाशक्ति उपकार ।

लोभ क्षोभ मद मोह का साथ दीजिये छोड़ ।
प्रेम सदा उपजाइये सपने हों साकार ।

नेह कुसुम के त्याग से सभी करें सहयोग ।
गूँथ रही है सभ्यता मानवता का हार ।

ईश्वर मे अनुरक्ति रख भक्ति सधा विस्वास ।
कृपा मात्र की कामना से होगा उद्धार ।

सबके हित मे देखिये रकमिश निज प्रतिबिम्ब ।
देश समर्पित नेह सँग अतिथि सखा परिवार ।

✍रकमिश सुल्तानपुरी

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