गीता जयन्ती
गीता जयंती मनाये , दिवस बहुत है खास
पोषित होगी संस्कृति ,सबसे ऐसी आस
एकादशी मोक्षदा है ,करे विष्णु उपवास
द्वार मोक्ष के खुले तब, जन मन का विश्वास
धर्म हानि बढ़ रही है , दूषित होता वेश
सन्मार्ग है जरूरी , रहे पल्लवित देश
तुलसी पूजन दिवस है , वही भक्ति आधार
जिसके घर में न तुलसी, भक्ति वह निराधार
चलो बैठ कर करे हम , गीता ग्रंथ का पाठ
पाप देह के नष्ट हो , पड़ी रहे बन काठ ,
तुलसी पादप लगाये , दीप जलाये रोज
पुण्य फले हर एक दिन, भोगे नित हम मौज
तुलसी गीता संस्कृति , यहीं सभ्यता मूल
शांति दे आध्यात्म , जीवन बगियाँ फूल
रोम रोम में हमारे , विकसित जो संस्कार
संभाल रखते धरोहर, पाता जग आकार