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18 Nov 2021 · 1 min read

गिला शिक़वा

गिला-शिक़वा (सजल)
******************
***2212 – 2212***

कोई गिला शिक़वा नहीं,
कोई रहा मितवा नहीं।

पर क्यों न मिल वो सके,
हम से कभी रुसवां नहीं।

रुक सा गया है कारवां,
चलती पवन पुरवा नहीं।

रोते कभी तो हैं हंसते,
दोनों कहीं जुड़वां नहीं।

वैसा न मनसीरत रहा,
उनको रही परवा नहीं।
******************
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)

312 Views
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