“गिलहरी”
“गिलहरी”
??
छोटी सी होती, ये प्राणी;
नाम है, इसका “गिलहरी”
कुदक-फुदक कर चलती,
पेड़ – पौधों की हर टहनी,
पके फल, पेड़ों की खाती;
सबको यह बहुत सताती;
तब भी, हमें ये खूब भाती;
नन्ही ये,प्यारी सी दिखती;
देख- कर, ये सब सीखती;
होती यह, हमेशा ही तत्पर;
लगाई, राम-सेतु की पत्थर;
दांत, नुकीली होती इसकी;
होते बड़े – बड़े इसके कान;
सुनता है ये सब बड़ा ध्यान,
प्रभु श्रीराम से मिला इसको,
कर्मठता का सुन्दर वरदान।
**********************
..✍️प्रांजल
…कटिहार।