गिराना ही था तो कोई चांद का टुकड़ा गिराते
गिराना ही था तो
कोई चांद का टुकड़ा गिराते
किसी का घर रोशन करते
किसी बस्ती को आबाद करते
यह क्या
वहशी दरिंदों की तरह
आसमान से बारूद गिराये जा
रहे हो
घर के घर तबाह कर रहे हो
शहर के शहर उजाड़ रहे हो
सब कुछ बर्बाद कर रहे हो
सबको गुमराह कर रहे हो
सबको कितना सता रहे हो
कितना रुला रहे हो
उनकी सांसे छीन रहे हो
उन्हें एक दूसरे से बिछड़वा रहे हो
दिल में बसी उनकी सारी उम्मीदें
तोड़ रहे हो
मोहब्बत की कोई राह भी उनकी
तरफ न मोड़ रहे हो
यही सब अपने ऊपर घटा कर तो
जरा देखो
इसकी कल्पना मात्र से ही सिहर
जाओगे
तुम्हारे पैरों तले धरती खिसक
जायेगी
आसमान तक पहुंचना तो दूर की
बात
उसकी तरफ सिर उठाकर देखना भी
तुम भूल जाओगे
यह गुनाह तुम्हारा माफी के
काबिल नहीं
खुदा ने तुम्हें गर माफ कर भी
दिया तो क्या
जो कुछ गया
लोगों के हाथों से छिन
गया
उसे तुम वापिस कर पाओगे
उनके सहमे से
डरे से
मायूस चेहरे से
जंग के बादल की काली
तीर सी जख्मी करती
लकीरें हटा पाओगे
उनके लबों पर
एक पहली सी
प्यार भरी
मासूम
उनकी अपनी पहचान वाली
मुस्कान कभी लौटा पाओगे।
मीनल
सुपुत्री श्री प्रमोद कुमार
इंडियन डाईकास्टिंग इंडस्ट्रीज
सासनी गेट, आगरा रोड
अलीगढ़ (उ.प्र.) – 202001