गिरधर के रंग न्यारे
****गिरधर के रंग न्यारे (भजन) ****
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बाँसुरी वाले तेरे रंग बहुत न्यारे रे,
जान कोई ना पाया ढंग बहुत न्यारे रे।
है यमुना किनारे कान्हा बाँसुरी बजाये,
गोपियों संग छोड़ राधा दौड़ी चली आये,
मोहित हो जाएं साथ संग बहुत न्यारे रे।
जान कोई ना पाया ढंग बहुत न्यारे रे।
मटकी को फोड़ चोरी चोरी माखन खाये,
गोरियों को ग्वाला श्यामा बहुत है सताये।
रासलीला रसिक के अंग बहुत न्यारे रे।
जान ना कोई पाया ढंग बहुत न् यारे रे।
मनसीरत भक्तों संग जन्माष्टमी मनाये,
नंदलाला गिरधर को मधुर लोरी सुनाये,
गिरधारी की महिमा के पंख बहुत न्यारे रे ।
जान ना कोई पाया ढंग बहुत न्यारे रे।
बाँसुरी वाले तेरे रंग बहुत न्यारे रे।
जान ना कोई पाया ढंग बहुत न्यारे रे।
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सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)