Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
4 Sep 2020 · 1 min read

गिरगिट

एक गिरगिट अचानक
रूप बदलने लगा
नये-नये रंग में
पल-पल ढलने लगा ।
उसको यों करता देख
एक गिरगिट दूसरे से बोला
यार !यह अकारण
क्यों बदल रहा है चोला ?
यह सुन गिरगिट ने
अपने मित्र को बताया
उसे समझाया
कहा-यार यह अभी-अभी
आदमी की बस्ती से आया है
इसलिए बौराया है ।
गिरगिट की बात सुन
दूसरा बोला-
यार!ऐसे में तो यह
मुफ्त में मारा जाएगा ।
क्या यह आदमी की तरह
कभी रंग बदल पाएगा?
आदमी ने तो
गिरगिट की फितरत पा ली है
क्या गिरगिट
आदमी की फितरत ले पाएगा ?
दोनों ने सोचा
चलो उसे समझाते हैं
सही राह पर लाते हैं ।
वे उसके पास गए
उन्होंने उसे समझाया-
अरे! तू है बहुत भोला
क्यों बदलता है
बार-बार चोला
आरे! तू गिरगिट है, गिरगिट ही रह
खुद को आदमी मत कह
जो आदमी के चक्कर में जाएगा
खुद गिरगिट भी नहीं रह पाएगा ?:

यह सुन
रंग बदलता हुआ गिरगिट बोला-
अभी-अभी मैं जहाँ से आया हूँ
वहाँ आदमी का व्यवहार देख घबराया हूँ ।
कुदरत ने जो
रंग बदलने की कला हमें दी है
आदमी हमसे भी आगे निकल रहा है
यही मुझे खल रहा है
इसलिए मैं
उससें आगे निकलने की कोशिश कर रहा हूँ
और बार-बार रंग बदल रहा हूँ ।
बार-बार रंग बदल रहा हूँ ।

अशोक सोनी

Language: Hindi
2 Likes · 2 Comments · 536 Views

You may also like these posts

मेरी कलम
मेरी कलम
Shekhar Chandra Mitra
****स्वप्न सुनहरे****
****स्वप्न सुनहरे****
Kavita Chouhan
दौड़ना शुरू करोगे तो कुछ मिल जायेगा, ठहर जाओगे तो मिलाने वाल
दौड़ना शुरू करोगे तो कुछ मिल जायेगा, ठहर जाओगे तो मिलाने वाल
Ravikesh Jha
इंसान चाहे कितना ही आम हो..!!
इंसान चाहे कितना ही आम हो..!!
शेखर सिंह
जरूरी बहुत
जरूरी बहुत
surenderpal vaidya
हो गए दूर क्यों, अब हमसे तुम
हो गए दूर क्यों, अब हमसे तुम
gurudeenverma198
मै बेरोजगारी पर सवार हु
मै बेरोजगारी पर सवार हु
भरत कुमार सोलंकी
अनोखा बंधन...... एक सोच
अनोखा बंधन...... एक सोच
Neeraj Agarwal
तस्वीर तुम्हारी देखी तो
तस्वीर तुम्हारी देखी तो
VINOD CHAUHAN
नश्वर तन को मानता,
नश्वर तन को मानता,
sushil sarna
युवा है हम
युवा है हम
Pratibha Pandey
ख़त
ख़त
Kanchan Advaita
रिश्ते
रिश्ते
Ashwani Kumar Jaiswal
इशारा नहीं होता
इशारा नहीं होता
Neelam Sharma
देखा तुम्हें सामने
देखा तुम्हें सामने
Harminder Kaur
*आदत*
*आदत*
DR ARUN KUMAR SHASTRI
हर एक मंजिल का अपना कहर निकला
हर एक मंजिल का अपना कहर निकला
कवि दीपक बवेजा
सशक्त रचनाएँ न किसी
सशक्त रचनाएँ न किसी "लाइक" से धन्य होती हैं, न "कॉमेंट" से क
*प्रणय*
सवैया
सवैया
Rambali Mishra
माता - पिता
माता - पिता
Umender kumar
*वो मेरी मांँ है*
*वो मेरी मांँ है*
Dushyant Kumar
घर
घर
Dr. Bharati Varma Bourai
"डार्विन ने लिखा था"
Dr. Kishan tandon kranti
मोहब्बत का मेरी, उसने यूं भरोसा कर लिया।
मोहब्बत का मेरी, उसने यूं भरोसा कर लिया।
इ. प्रेम नवोदयन
वैवाहिक चादर!
वैवाहिक चादर!
कविता झा ‘गीत’
अनुपम पल्लव प्रेम का
अनुपम पल्लव प्रेम का
ओम प्रकाश श्रीवास्तव
4171.💐 *पूर्णिका* 💐
4171.💐 *पूर्णिका* 💐
Dr.Khedu Bharti
फिर एक समस्या
फिर एक समस्या
A🇨🇭maanush
दायरे में शक के ......
दायरे में शक के ......
sushil yadav
🥀*✍अज्ञानी की*🥀
🥀*✍अज्ञानी की*🥀
जूनियर झनक कैलाश अज्ञानी झाँसी
Loading...