गालों पर हल्का सा उभरता ये गुलाल कैसा है
वो हमसे पूछ रहे हैं कि हमारा हाल कैसा है,
उन्हें क्या बताएं कि दिल में मलाल कैसा है।
उनके ख्यालों ने जो घेरा है, ये जाल कैसा है,
नज़रों ही में फंसकर रह गए, ये जंजाल कैसा है।
होंठों पर बिखरी मुस्कान का कमाल कैसा है,
गालों पर हल्का सा उभरता ये गुलाल कैसा है।
उनकी जुदाई में आँखों का रंग सुर्ख लाल कैसा है,
एक हल्की सी झलक को तरसता कंगाल कैसा है।
उनको खबर नहीं कि हुआ ये बवाल कैसा है,
वो भी आकर देख लें ये कंकाल कैसा है।
————-शैंकी भाटिया
अक्टूबर 12, 2016