गाय माता जी
एक रोटी दे कर तुम मानवता से अपना पल्ला ना झाड़ों।
गाय माता ने तुम्हें पाला है ,अब गाय माता को तुम पालो।
गाय माता की रक्षा करना समस्त मानव की जिम्मेदारी है।
गाय माता के कर्ज को उतारना अब तेरी बारी है।
भूख और प्यास से तड़प कर, न मरने पाये ।
रोड रोड पर अपना बसेरा न बना पाये।
अरे! तुम्हें गाय माता ने ही समृद्ध बनाया है।
विज्ञान के इस दौर में तुमने उसे भुलाया है।
इंसान होकर इन्सानियत का परिचय तो दे दो।
जो तुमने गाय माता से लिया है वह तो लौटा दो।
गाय माता को पशु न समझ ,यह देविय वरदान है।
दूध से लेकर मूत्र भी तेरे लिए अमृत समान है।