गाडगे जी
खोल, इतिहास,देख पुराना,
दबंगों का अत्याचार।
दलितों को पैर से रौंदा,
मचा हुआ था हाहाकार।।
दबंग तो दबंग निकलें,
त्रस्त हुए दलित समुदाय
देख हालत वक्त की,
डिबु निकले छोड़ परिवार
उस समय की हालत को
लेखनी भी न लिखने पाया।
खोल इतिहास,देख पुराना, दबंगों का अत्याचार।।
मन ही मन करे लड़ाई,
घर घर म अलख जगाया।
जान लिया था वो कारण को,
अशिक्षित रहे दलित समुदाय
एक विचित्र देकर नारा,
सब बच्चे को पढ़ने भिजवाय। शिक्षित होंगें लोगन तो,
मिट जायेगा अत्याचार ।।
धन सम्पदा न आये बाधा ,
स्वयं तो भीख मांगने जाय।
भीख की पैसा करें इक्ट्ठा
जगा जगा विद्यालय खोलवाय,
खोलकर देखो इतिहास पुराना
दबंगों का अत्याचार।।
ठान लिया था गाडगे मन में
सारा समाज शिक्षित हो जाय।
तब मिटेगी अत्याचार दबंगों की
स्वच्छ भारत फिर बना जाय।
ऐ से संत को मैं मनाऊं,
कृपा दृष्टि हमको मिल जाय।
सब संतों को सीता राम, गाडगे बाबा को करूं प्रणाम
खोलकर देखो इतिहास पुराना
समिक्षा हेतु प्रेषित। डां विजय कुमार कन्नौजे