गांव – माँ का मंदिर
जय माँ मल्लिके 🙏
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आज माँ के द्वार पर मैं,
कामनाएं लिख रहा हूँ।
मिल रहे हैं मित्र-परिजन,
आज आनंदित हुआ मन।
और उद्वेलित हुए तन,
खिल उठे मन बाग उपवन।
सब सुखी हों सब निरामय,
याचनाएं लिख रहा हूँ।।
आज माँ के द्वार पर मैं
कामनाएं लिख रहा हूँ।।
प्रकृति का आंचल सु-निर्मल,
गांव का परिवेश निश्छल ।
भरे पूरे सभी आंगन,
हो वही निर्द्वंद्व बचपन ।
दिन वही फिर लौट आयें,
कल्पनाएं लिख रहा हूँ।
आज माँ के द्वार पर मैं
कामनाएं लिख रहा हूँ।।
दर तेरे हर बार आयें,
चरण में मस्तक नवाएं ।
ज्योति बालें, फाग गायें,
और तव आशीष पायें।
विश्व का कल्याण कर माँ
भावनाएं लिख रहा हूँ।।
आज माँ के द्वार पर मैं
कामनाएं लिख रहा हूँ।
✍️ – नवीन जोशी ‘नवल’
(स्वरचित एवं मौलिक)