गांव दिखाएंगे।
खूबसूरती का सर से पांव दिखाएंगे
कभी आना तुम्हें अपना गांव दिखाएंगे।
धूप बहुत है शहर की भीड़ भाड़ में
कभी आना तुम्हें धूप में भी छांव दिखाएंगे।
कभी आना तुम्हें अपना गांव दिखाएंगे।
बढ़ा रहा है जो गांव को शहरों की तरफ,
कभी आना तुम्हें उस गरीबी में भी ठहराव दिखाएंगे
कभी आना तुम्हें अपना गांव दिखाएंगे।
तुमने कहां देखा है गरीबी का असर मंजर
कभी आना तुम्हें जमीन पर चलते हुए नाव दिखाएंगे
कभी आना तुम्हें अपना गांव दिखाएंगे।
शहर रोता है अपनी चिकनी–चिकनी सड़कों पर
कभी आना तुम्हें झुलसती हुई
पगडंडियों का चढ़ाव दिखाएंगे
कभी आना तुम्हें अपना गांव दिखाएंगे।
लौट आओगे शहर का कारवां छोड़
कभी आना तुम्हें कारवां से लगे घाव दिखाएंगे
कभी आना तुम्हें अपना गांव दिखाएंगे।।
©अभिषेक पाण्डेय अभि