गांव के तीन भाई
प्रेम , सहयोग, भाईचारा तीनों भाई
गांव छोड़कर शहर चले गए हैं
कमाने के लिए
अकेलापन को छोड़ गए हैं
गांव के घर की देखभाल करने केलिए
हालात यह है कि गांव में कोई मर जाए
तो किराया देकर बुलाना पड़ता है
रोने वालों को
कौन सा त्योहार कब आया और कब गया
कुछ समझ नहीं आता
बूढ़े मां बाप का केवल भगवान सहारा है
ईर्ष्या के दीपक घर घर जलते हैं सुबह शाम
खेती का जाते हैं आवारा पशु जब एक रात में
केवल तब पड़ोसी मुस्कुराता है
एक दिन अखबार पढ़ कर रो देते गांव के
मुखिया ख़बर थी
“प्रेम, सहयोग, भाईचारा तीनों भाई शहर में मारे गए”