गांव की याद
जरूरतें
बनाती हैं
मतलबी और
स्वार्थी
शहर आकर
आदमी
की
बुराई जीतती
अच्छाई हारती।
शहर आकर
याद आता
गांव का बरगद
याद आती रहती
गांव की चौखट।
गाव की गली
गांव के पंछी
शहर आकर
दौड़ भाग
तन मन को
मारती।
बार बार
याद आती
गांव की ।
छवि।
गांव की
आकृति
डा.पूनम पाडे