माता प्रकट हुईं
ये घटना तब की है जब मैं उच्च विद्यालय में पांचवीं या छठी श्रेणी में पढ़ता था। हमारे विद्यालय में सह शिक्षा थी। एक तरफ लड़कियाँ और दूसरी तरफ लड़के बैठते थे।
सब कुछ ठीक चल रहा था , वार्षिक परीक्षाएं आने वाली थी।
एक दिन, मेरी एक सहपाठिनी ममता अचानक बेंच पर बैठी बैठी हिलने लगी, चेहरा थोड़ा तमतमाया सा था ,होंठ कांप रहे थे और माथे पर हल्की पसीने की बूंदे छलक आयी थी।
उसको ऐसा करते देख हम सारे छात्र और छात्राएं उसके आस पास इकट्ठा होने लगे।
तभी किसी ने कहा इस पर तो कोई माता सवार हुई है। ये बात विद्यालय मे आग की तरह फैल गयी और दूसरी कक्षाओं से भी छात्र हमारी क्लास के बाहर इकट्ठा होने लगे, तब तक एक दो टीचर भी आ चुके थे।
पास खड़े एक दो छात्र और छात्राओं को अपनी ओर देखता पाकर ,उसने अपना एक हाथ भी आशीर्वाद की मुद्रा में उठा लिया।
उसका हाथ उठता देख कइयों को उसमे हाथ में चक्र, कलश और किसी को तो किसी देवी की झलक भी दिखने लगी थी।
मैंने भी उसके हाथ को गौर से देखा पर मेरी साधारण दृष्टि , ये सब दावे देखने में नाकाम रही। पर मैँ कुछ बोलकर उस देवी को कुपित नहीं करना चाहता था।
इस बीच ,पिछली बेंचों पर बैठने वाले मेरे कुछ दोस्तों ने तो उसके पांव छूकर अपनी आशंकाएँ और डर मिटाने के लिए ,ये भी पूछ लिया कि वो इस बार परीक्षा में पास तो हो जाएंगे ना?
ममता चुप रही।
कुछ देर बाद उसने अपना सर टेबल पर रख दिया। तब तक उसके घरवाले भी उसे स्कूल से घर ले जाने आ चुके थे।
इसके बाद ऐसी कोई भी घटना देखने को नहीं मिली। शायद माता को भी ये अहसास हो गया था कि स्कूल के समय में नहीं प्रकट होना है!!